जहाँ न कोई बंधन हो मुझे उस गाँव जाना है .......
जहाँ न कोई बंधन हो मुझे उस गाँव जाना है
अन्दर है जो कोलाहल उससे निजात पाना है
मुझे मालूम है कठिन बड़ा सफर मेरा मगर
मुझे अब ख़ुद नया रास्ता आजमाना है
मेरे भी दोस्त बहुत हैं और हैं साथी भी यहाँ
मगर मुझे तो प्यारा है छोटा सा वो जहाँ
मेरे अपने भी मुझको अब थोड़ा सनकी समझते हैं
करेगा ये तो अपनी मन की वो तो ये समझते हैं
मगर मेरेतो मात्र लक्ष्य है मन के परे जाना
जो सच्चा और सहज है उसीको है मुझे पाना ..........
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