मेरी जिन्दगी की है अपनी लडाई ..........
चलो तुमको मैं एक गीत सुनादूं
आज शब्द फिर से वही दोहरा दूँ
की बनेगा जो दुश्मन जमाना हमारा
तू फिर भी न देना मुझको सहारा की
मेरी जिन्दगी की है अपनी लडाई
शिखर पे जो जाना तो कैसी चढाई
तुम्हे क्या है लगता सुबह क्या न होगी
ब्रह्मण हूँ मैं नहीं हूँ मैं भोगी
मुर्गों को जा के अभी तुम बता दो
सुबह तो है होना बांग दो तुम या न दो ................
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