सामूहिक निषेध
जब गिरती है कोई गगन चुम्बी इमारत तब साथ गिरते हैं आस पास के मकान भी और धुल चाटती है ऐसे में ईमानदारी की झोपड़ी इसे सामूहिक निषेध कहते हैं इसी collateral डैमेज से मैंने ख़ुद को बचाया जब त्यागा मैंने इनका छत्रछाया ये अंहकार की इमारतों में बसे हुए हिन् भावना के शिकार लोगों का अंत अवश्यम्भावी था क्यूंकि ऊँचे होने का दंभ इनपे हावी था भगवन इन तेजी से बदलती परिस्थितियों में तेरा ही सहारा है मुझे तो सच्चाई के बुनियाद पे टिका अपना झोपड़ी ही प्यारा है......
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