जब गिरती है कोई गगन चुम्बी इमारत तब साथ गिरते हैं आस पास के मकान भी और धुल चाटती है ऐसे में ईमानदारी की झोपड़ी इसे सामूहिक निषेध कहते हैं इसी collateral डैमेज से मैंने ख़ुद को बचाया जब त्यागा मैंने इनका छत्रछाया ये अंहकार की इमारतों में बसे हुए हिन् भावना के शिकार लोगों का अंत अवश्यम्भावी था क्यूंकि ऊँचे होने का दंभ इनपे हावी था भगवन इन तेजी से बदलती परिस्थितियों में तेरा ही सहारा है मुझे तो सच्चाई के बुनियाद पे टिका अपना झोपड़ी ही प्यारा है......
जीवन एक संघर्ष है मैंने सुना है अनेको के मुख से और इस दौड़ में इंसान दूर हो जाता है सुख से शेष रह जाता है तनाव और असंतोष से जन्मा मन पे कई घाव मेरे विचार से संघर्ष नहीं जीवन संग हर्ष है संग परिवार और मित्रों का जरूरी है शिखर की यात्रा इनके बिना अधूरी है
जब भी अकेलापन आपको सताएगा परिवार ही उस समय पे काम आएगा रह जायेंगी उपलब्धियाँ दीवार पर टंगी जब मायाजाल आपको ठेंगा दिखायेगा बरगद के पेड़ से ज्ञान जीवन का लीजिये अगर चाहिए चतुर्मुखी विकास आपको फिर जड़ को सहारा , तने से दीजिये .....
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