योग


योग संधि है , योग मिलाप है
योग माध्यम है अपने ही विस्तार का
योग यात्रा है मस्तिष्क से ह्रदय की तरफ
योग कड़ी है आंतरिक और वाह्य संसार का

योग है तो है अस्तित्व के मायने
जो कराये ये बोध, आखिर मैं हूँ कौन
योग व्यायाम से परे वो आयाम है
जिसकी जननी है शब्दों के पीछे की मौन






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