कोई मेडल न कोई पुरस्कार चाहिए



















सहानुभूति नहीं, समानुभूति चाहिए 
ये यज्ञ है  विशेष ,स्वयं का परिष्कार 
अहँकार की इसमें, पूर्णाहुति चाहिए 
न जीत की ललक , न ही हार चाहिए
कोई  मेडल  न कोई पुरस्कार चाहिए  
क्रिटिसाइज़ की जगह जो कर सके  क्रिटिगाइड  
मित्र से  बस वैसा ही  व्यवहार  चाहिए
 

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