27 July, 2011

जामवंत हैं अन्ना ............

कोई आए आके मेरा अब तो नब्ज़ देखले
जो ह्रदय के घाव है मन का कब्ज देखले
आँखें तो चाहती हैं रोना आज निरंतर
नेताओं के बेशर्मी बाग सब्ज देख लें
सरकार हो तुम हम भी तो हैं आम आदमी
किस मिट्टी के बने हो हैं न आँखों में नमी
इतना न झुकाओ की टूट जाए ये कमर
फूलों का गला घोटता नहीं कहीं भ्रमर
एक अन्ना ने जो किया स्मरण वो रहे
हमारे भी धमनियों में वही रक्त बह रहे
सोंचो अगर आ जाएँ हजारों में हजारे
लंगोटी सम्हाल कैसे भाग पाओगे प्यारे
घमंड तो रावण का भी चूर हुआ था
हनुमान अकेले से मजबूर हुआ था
भूलना नहीं हमार जामवंत हैं अन्ना
आये है हम बदलने इतिहास का पन्ना .

Apna time aayega