04 August, 2018

संघर्ष नहीं जीवन संग हर्ष है



















जीवन एक संघर्ष है
मैंने सुना है अनेको के मुख से
और इस दौड़ में इंसान दूर हो जाता है सुख से
शेष रह जाता है तनाव
और असंतोष से जन्मा मन पे कई घाव

मेरे विचार से संघर्ष नहीं जीवन संग हर्ष है
संग परिवार और मित्रों का जरूरी है
शिखर की यात्रा इनके बिना अधूरी है



25 July, 2018

डर के आगे जीत है


















जिस सुर में आपको लगता अच्छा है 
आपके समझ में वो सुरक्षा है 
पर वस्तुतः सुरक्षा एक मनगढंत कहानी है 
सुरक्षा मात्र अंधविश्वास है 
आपके पैरों में बेड़ियाँ  डालने का
मन का चतुर प्रयास है 
आप बस इतना माने की हर डर के आगे जीत है 
इंसान आने वाले संभावनाओं से अपरिचित है 


24 July, 2018

'एक्ला चलो' टैगोर के सिद्धांत पर















भीड़ से पृथक 
चलना अकेले चाहिए
कोई न साथ आये ,मर्जी उनकी है 
आप तो अफ़सोस न मनाइये 
गलत दिशा में भीड़ अगर आगे हो 
न समझो खुद को तुम बड़े अभागे हो 
रेंगते चलते या फिर दौड़ते 
करलो स्वयं को अलग तुम इस होड़ से 
चलो सही दिशा में मन शांत कर 
'एक्ला चलो' टैगोर के सिद्धांत पर 















जब हनुमान के अंदर पवनपुत्र सोता है



















ज़ंजीर लोहे की हो या सोने की
जरूरत है क्या बेवजह उसे ढोने की
विचारों को अगर बंधक युहीं बनाओगे
मुझे ये खेद है फिर कैसे तुम उड़ पाओगे

पंख हो ज्ञान न हो, तो हनुमान भी उड़ पाते नहीं
जबतक आके कोई जामवंत ,स्मरण कराते नहीं
कृपा बरसती जहाँ क्या करोगे छाता का
बस एक संकेत चाहिए उस विधाता का
खुल के भीगना जरूरी होता है
जब हनुमान के अंदर पवनपुत्र सोता है 

21 July, 2018

पीठ पीछे
















कभी न सोंचो की क्या लोग पीछे बोलते हैं
करते निंदा या फिर बातों की ज़हर घोलते हैं
कोई कारण तो होगा उनके पीछे होने का
जिन्हे पाया ही नहीं क्यों भय हो उनके खोने का


खुले आँखों से मैं ख्वाब नयी बुनता हूँ


मैंने देखें हैं बदलाव के इतने मंज़र
कभी तो फूल मिले, कभी पीठ पर खंज़र
कभी मैं रेंगता, चलता तो कभी दौड़ लेता
जिधर जाता न कोई, हर हमेशा वैसी मोड़ लेता
मेरी आदत है रस्ते कठिन मैं चुनता हूँ
खुले आँखों से मैं ख्वाब नयी बुनता हूँ




17 July, 2018

#WorldEmojiDay


#WorldEmojiDay
😏😐😓😔😤😣😎😊😋😌😆

कैद हैं समस्त भाव एक प्रतीक (इमोजी) में
अब प्रेम, ख़ुशी, दुःख , दर्द एक चिन्ह मात्र हैं
मेरे विचार से हम सभी दया के पात्र हैं

न हंसना है न रोना है
ना  ही नाच के ख़ुशी को अभिव्यक्त करना है
बस पीला सा एक चिन्ह से सब व्यक्त करना है

15 July, 2018

न गंगा का न देश का

न गंगा का न देश का
कोई भी पार्टी न दल है
ये शोर कोलाहल
राजनैतिक दल दल है
सन सैतालिस से लेके आज तक
माँ ने सहा अपमान
अब तो कर्म से अपने दो बेटे होने का प्रमाण 



हे जगन्नाथ आपही कोई रस्ता दिखाइए
































मेरे जीवन की यात्रा के तुम हो सारथी 
अर्जुन के भाँती मैं भी तुम्हारा ही विद्यार्थी 
जो युद्ध है जीवन के दैनिक काम काज में 
चारो तरफ दुर्योधन खड़े इस समाज में 
अब और नहीं युद्ध , मन की शान्ति चाहिए 
हे जगन्नाथ  आपही कोई रस्ता  दिखाइए 
 


11 July, 2018

बात का बतंगड़


















विकल्प जो होता  मन के चुनाव में 
नमक न देता छींटने अपने घावों में 
जो घाव हरे थे वो बन गए नासूर 
लगाते रहे आरोप, मढ़ते रहे कसूर 
लेना जहाँ संकल्प विकल्प तलाशा 
हर  बात का बतंगड़ और मिथ्या तमाशा 

10 July, 2018

अब तो यादें है बस, जिनके सहारे कटती हूँ















कटी पतंग की तरह 
अलग जो जड़ से हुए
ये कशमकश अजीब 
दूर जब हम घर से हुऐ
अकेलेपन से अब हमारी अच्छी पटती  है 
अब तो यादें है बस, जिनके सहारे कटती हूँ  





09 July, 2018

चाय पे चर्चा

कुछ बात जो मैंने कही नहीं, कुछ बात जो तुमने सुना नहीं
चलो कहीं अकेले मिलते हैं ,एक ताज़ी चाय की प्याली पर
कोई अंतर्द्वंद  न शेष रहे, जो उपजे मतभेद ख्याली पर




07 July, 2018

Happy birthday MSD

जिसके अस्तित्व के सामने दुनिया बौनी है
ऐसे व्यक्तित्व के महेंद्र सिंह धोनी हैं
रचा इतिहास वर्तमान और भविष्य दिया
खेल को खेल से बड़ा बहुत परिदृश्य दिया

06 July, 2018

नमामि गंगे


सारांश ढूंढ़ता रहा मैं उस कहानी से
आचमन न कर सका गंगा के पानी से
गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक
हालत माँ की देख कर भीगे रहे पलक 
गंगा तो मैली हो गयी सबके हाँथ रंगे हैं
बस युहीं रहो कहते की नमामि गंगे है



03 July, 2018

सेलिब्रिटी हैं तो क्या , गुनाह गुनाह नहीं है


कोई बायोपिक आपके समस्त पाप धो देगा
जनता माफ़ कर देगी, पर ख़ुदा तो रो देगा
सेलिब्रिटी हैं तो क्या , गुनाह गुनाह नहीं है
करते रहो महिमामंडन परवाह नहीं है



02 July, 2018

तीन ताल

जन्म और  मृत्यु के मध्य जो अंतराल है
जीवन के मधुर संगीत का तीन ताल है 
अगर हो बोध तो फिर बस माधुर्य है लय है 
नहीं तो कोलाहल है ,संशय है और भय है 




29 June, 2018

तुलसी


















तुलसी के पास बैठ जाना
जब भी हो उलझन
माँ की तरह हो आपको रस्ता दिखाएगी
थक कर कभी जो चूर हों
सानिध्य तुलसी का
माँ की तरह थप थपा लोरी सुनाएगी
कितने भी कलुषित विचार चलते हो मन में
संपर्क तुलसी का तो वृन्दावन बनाएगी

हार का जश्न भी मनाने का















जीत का सेहरा बाँध कर इतराते क्यों हो
हार भी आता होगा तुमको बधाई देने
फिर हार सबक, अपनी हार से लेगा
आएगा शीघ्र ,आमंत्रण में, नयी लड़ाई  देने
सिलसिला जारी रहे सिखने सिखाने का
जीत की खुशिंया संग, हार का जश्न भी मनाने  का


28 June, 2018

कोई हार कर भी छोड़ जाता गहरा छाप है

वैसे तो जीत हार का क्रम अनूठा है
सच है तो बस अनुभव, जो शेष झूठा है
मैदान-ए-जंग जीत कर, कोई करता विलाप है
कोई हार कर भी छोड़ जाता गहरा छाप  है










27 June, 2018

वर्तमान के देहरी पर देश बाट है जोह रहा

क्यों हर घटना में तुम हरदम रंग मज़हबी भरते हो
जब भी मिलता मौका है तो रटा  रटाया पढ़ते हो
किंकर्तव्यविमूढ़ होकर वो चेहरा स्याह कर लेता है
फिर अपने अंदर ही अंदर घुट घुट जीता मरता है
वर्तमान के देहरी पर देश बाट है जोह रहा
ये बिखंडन की राजनीति से मेरा हरदम विद्रोह रहा