18 August, 2015

कोई दुश्मन नहीं ईश के अंश सभी
















छोटा मन लेकर कैसे जीतोगे तुम 
दुनिया की हर बाधा और कठनाई को 
जो चश्मा है आँखों पर संदेह भरा 
कैसे समझोगे दिल के गहराई को 

कलयुग का ये फेर नहीं तो और क्या है 
सब अपनों को हमने किया पराया है 
अपने धुन में इतने घाव किये हमने 
वक्त का मरहम भी न उसे भर पाया है 

कोई दुश्मन नहीं ईश के अंश सभी 
समझ समझ का फेर  आँखों का धोखा है 
ये तो  अपनी ही बनायी  दीवारें हैं 
जिसने हमको अनायास ही रोका है 




15 August, 2015

जश्न आज़ादी का
















आज़ादी के जश्न के आयाम को समझो
जो मर मिटे उनके बलिदान को समझो 
समझो की माँ भारत है , संतान हम सभी 
उस सभ्यता महान के प्राण हम सभी 

चलो की साथ कोई अपना न पराया 
सब ने जो मिलके एक कदम भी जो बढ़ाया
बढ़ेंगे असंख्य कदम  देश के विकास में
बिलम्ब हो न कोई अब इस प्रयास में











10 August, 2015

उसी ईश के अंश सभी

उसी ईश के अंश सभी ,कोई ज्यादा न कोई कम है 

जो प्रोत्साहित करे 
और जो पीड़ परायी जाने 
और जो तुममे निहित है ऊर्जा 
उसको भी पहचाने 
हमदर्दी  (sympathy ) जो दिखलाये 
उस पर बिस्वास न करिये 
समानुभूति (empathy)  आदर्श हो 
जिनका  उनके साथ विचरिये 


जीवन को विष कर देंगे
रहना तुम उनसे दूर 
जो करे तुम हतोत्साहित 
और बस संदेह  भरपूर 
जिनका काम महज इतना 
की खामियों को गिनवाएं 
धयान रहे उनकी परछाईं 
के भी निकट न जाएँ 

अब युग नहीं की निंदक को हम आस्तीन में पालें
और अपना बुद्धि विवेक करदें औरों के हवाले 
उसी ईश के अंश सभी ,कोई ज्यादा न कोई कम है 
दुर्बल नहीं कोई है यहाँ बस मन का मात्र भरम है  

02 August, 2015

प्रमाण








क्या क्या प्रमाण दूँ मैं दुनिया के मंच पर
अब उठ गया विश्वास है इस क्षल प्रपंच पर 
दर्पण को दूँ प्रमाण की दीखता  हूँ मैं सुन्दर 
लोगों को ये प्रमाण भरा ज्ञान है अंदर 
और प्रमाण ये की मैं कितना सच्चा हूँ 
माँ बाप को प्रमाण की मैं अच्छा बच्चा हूँ 
गुरु को भी तो प्रमाण की हूँ मैं आज्ञाकारी 
और साथियों को ये प्रमाण की मैं हूँ  क्रांतिकारी 
प्रमाण की निर्दोष हूँ मैं हर लड़ाई में 
और प्रमाण ये भी की अब्वल हौसलाअफजाई में 
क्या अस्तित्व महज मेरा है ढूंढना प्रमाण
या इसके  परे और भी कोई मेरी है पहचान 
संशय की इस घड़ी में दया का पात्र मैं  
या किसी बड़े उद्देश्य का हूँ निमित मात्र मैं 
है ज्ञात नहीं मुझको कृष्ण आप बताएं 
अर्जुन की तरह मुझको भी अब राह दिखाएँ ............

01 August, 2015

गुरु मुख से जो पाया ज्ञान अर्जुन तू बड़भागी है










भ्रम की जाल जो काट दे और कर दे सत्य प्रत्यक्ष

और इशारा कर दे ताकि ज्ञात हो अंतिम लक्ष्य

जैसे कृष्णा ने अर्जुन के माया के जाल को काटा

युद्धभूमि में भी जीवन के सारतत्व को बांटा

माना युद्ध भूमि में नहीं मैं, न शत्रु ही हावी है

अंतर्मन का युद्ध निशचय ही मायावी है

गुरु मुख से जो पाया ज्ञान अर्जुन तू बड़भागी है

वही ज्ञान पाने की अब इक्षा मन में जागी है

जैसा गुरु मिला तुमको क्या मुझको मिल पायेगा

मेरे मन के कुरुक्षेत्र में क्या कृष्ण कोई आएगा