अब क्या कहूं
न शब्द हैं
न भाव है
चेहरे के पीछे
जो एक छीपा चेहरा है और
उसके ललाट पर तो बस तनाव है।
तुम्हारे मापदंड से
सफल हूँ मैं इस दौड़ में ,
था भूल गया खुद को मैं
प्रतियोगिता कि होड़ में
मैं कौन हूँ ,क्यूँ हूँ यहाँ
क्या योजना कोई लक्ष्य है ,
ग़र दे सको तो दो मुझे
उत्तर यदि प्रत्यक्ष है।