31 March, 2017

बुद्धि के सामने नतमस्तक विवेक था















रोटी के बहाने  घर बार से अलग
माता  पिता के स्नेह  और प्यार से अलग
गाँव का कुआँ छोड़,  मन की मिटाने प्यास
कोंक्रिट के जंगल में भविष्य की तलाश

जीवन  का लक्ष्य क्या है
दो वक़्त की रोटी
या कुछ और मायने हैं
अस्तित्व के अपने
 मैंने खुले आँखों से
देखे कई  सपने
उन सपनो में निहित भाव , मात्र  एक था
बुद्धि के सामने नतमस्तक  विवेक  था

(फोटो : शान्तिकुंज  हरिद्धार यात्रा )



 







30 March, 2017

जड़















जिस पेड़ के हिस्से हैं उसके जड़ को देखिये
फल फूल तने  लता और मंज़र को देखिये
ये देखिये असंख्य जीव जिसपे हैं निर्भर 
रहे सदा जिवंत हर उस अवसर को देखिये 



29 March, 2017

दुर्योधन















बंधी आँख पर पट्टी हो तो
सच और झूठ  सब एक समान
जब कोई आये समझाने
एक वाक्य की मत दो ज्ञान
यही हुआ दुर्योधन के संग
कृष्ण गए जब समझाने
मन में एक ही बात रही
मुझे युद्ध चाहिए किसी बहाने
आप जिधर भी आँखें फेरें
दीखते असंख्य दुर्योधन हैं
अपनी जड़ों को काटने की
ये कैसी युद्ध उद्बोधन है







28 March, 2017

कर्ण अर्जुन

तुम्हारे शब्द मेरे  घाव को मरहम जो दे देते 
तो ये जख्म आज यूँ तो नासूर न  होता 
इतिहास के पन्नो में फिर कोई अर्जुन 
अपने सहोदर कर्ण से तो दूर न होता