23 February, 2009

एहसास पुराना होता नहीं .......................




दोस्त पुराने होते हैं


एहसास पुराना होता नहीं


तेजी से बदलती दुनिया में


आभास पुराना होता नहीं


लम्बी कितनी भी दुरी हो


पर बंधे हुए हम होते हैं


मिलते हैं लंबे अरसे पर


बिस्वास बीज हम बोते हैं


हर अन्तराल एक किस्सा है


हर लम्हा एक कहानी है


दोस्त दोस्त ही रहते है


दुनिया तो आनी जानी है






13 February, 2009

मैं भी हूँ अम्बिसीयेस ...................



मैं भी हूँ अम्बिसीयेस


पर उसके पीछे के निहित परिश्रम के लिए तत्पर हूँ


पर तुम चाहते हो जुड़ना मुझसे


महज इस लिए की क्रेडिट तुम्हे चाहिए


तुम्हारे हिप्पोक्रेसी को समझने में मैं असमर्थ था


अच्छा हुआ पता चला चाहते हो क्या तुम


मेरे बीश्वास की धज्जियाँ उड़ा दी तुमने


गलती हुई मुझसे पहचान नही पाया मैं तुम्हारे इरादे .




08 February, 2009

माँ एक saathi ऐसा दे देना जिसे भी सत्य की तलाश हो...............


दोस्ती के आयाम को समझने

के असहाय प्रयास में लगा में

जिसे दोस्त की तलाश है

माँ कहती थी बेटा दोस्त वो होता है

जब दो लोग सत्य की राह पर साथ चलते हैं

पर माँ दुःख है की अब ऐसे दोस्त कहा मिलते हैं

आज पाखंड ही दोस्ती की बुनियाद है

जो सहारा झूठ का ले वोही आबाद है

ऐसे हिपोक्रेसी से मुझे घृणा है

अब बिना दोस्तों के ही जीना है

क्यूंकि ये वो दोस्त है जिनके लिए

सच और इमानदारी दो कौडी की चीज है

जो कभी न अंकुरित हो ये वही बिज हैं

maa इनका नस्ल ही अनोखा है

क्यूंकि इनकी सच्चाई में भी धोखा है

maa मुझे ऐसे दोस्त मत देना

जिनकी सफलता मेरी लाश हो

माँ एक saathi ऐसा दे देना जिसे भी सत्य की तलाश हो...............

प्यार को नया आयाम दें..............


प्यार तो प्यार है

क्या सुनना है , है क्या कहना

अब तो एहसास जो हैं

उनके ही तो संग रहना

कभी सोचा न था

ऐसा भी हो जाएगा

हर पल ख्यालों में

तेरा चेहरा आएगा

मेरी एक गुजारिश

है तुमसे

देखना प्यार न करदे

कमजोर मुझे

अभी जो लक्ष्य दूर हैं

पुरा करना है

कदम मिलाके दोनों को ही

आगे बढ़ना है

तो चलो प्यार को अपने नया आयाम दे

जो सपने अधूरे हैं उन्हें अंजाम दें .................












07 February, 2009

गांधीवाद हो या गांधीगिरी ..................


गाँधी जी

आप तो चले गए

हमने आपको फोलो किया

लोगों ने दुसरे गाल पे भी मारा

और गालिओं से भी लताड़ा

पर एक बात मन में है

आप बताइए लोग हमारे घर में

घुस कर मार रहे हैं

और हम अहिंसा का झंडा गाड़ रहे हैं

वो कहते हैं ये जेहाद है

बापू आप कहते हैं हम आजाद हैं

तो बताइए न एक बार बापू आप आइये न

देखिये खून से लथपथ लाशें

और बताइए कुत्ता गर पागल हो जाए

तो उसे गोली मारें

या पहनाएं आदर्शों की माला

बापू कुछ बोलिए

कहीं सब्र की बाँध टूट न जाए

गुलिस्ता ये अपना लुट न जाए

बापू मैं इंतज़ार करूँगा

२ अक्टूबर में बिलम्ब है

पहले आइये

गांधीवाद हो या गांधीगिरी

देश को बचाइये

अम्बेडकर................


अम्बेडकर अगर होते

तो क्या पता हँसते की रोते

पर एक बात जो बतानी है

क्या आंबेडकर की जिन्दगी सिर्फ़

अल्पसंख्यकों की कहानी है

चोक हैं , चौराहे हैं , है मैदान भी

पार्क भी हैं गली भी और दूकान भी

कॉलेज हैं , स्कूल हैं और है टाउनशिप

और हैं कितने भत्ते और कितने फलोशिप

अम्बेडकर जी आप कभी आए जो यहाँ

देख लेंगे ख़ुद ही ये लुटी हुई जहाँ

राजनीति हावी है आपके वजूद पर

पेट में न रोटी हो तो क्या खाए पत्थर

तुम तो बिराजमान संगेमरमर पर

हम तो बुलाते तुम्हे एक बार आ जाओ

जो लगी है आग उसको बुझा जाओ .



06 February, 2009

बी प्रोफेशनल man.........











खुशी होती है



जब कोई अपना बढ़ता है आगे



लेकिन इस प्रोफेशनल दुनिया



में रिश्ते हैं कच्चे धागे



मोल नहीं भावनाओं का



इमोशनल फूल कहलाओगे



अगर किसी के प्रति



बफादार हो जाओगे



युग पाखंडियो का है



रहना है तुम्हे सतर्क



अच्छी भावना भी हैं



संदेह की घेरे में



बचो इन बहरूपियों से



कहीं लुट न लें तुम्हारा सुख चैन.........



कह जायेंगे लोग बी प्रोफेशनल man.........

05 February, 2009

आग लगना हॉबी मेरी वो तो लगता रहूँगा ......................


चाय तो एक बहाना है

आदर्श बेचने जाना है

झूठा ही सही ये दंभ मेरा

की दुनिया मुर्ख सयाना मैं

क्या जानू सागर का विस्तार

मेढक कुएं का अनजाना मैं

गलती क्या मेरी जो मैंने

देखि दुनिया है नही कभी

कुएं में राजनीती मेरी

रिश्तों से हूँ बेगाना मैं

बस चले मेरा तो रोज करूँ

हरकत कुछ आग लगाऊं मैं

बर्बाद गुलिस्ता करने को

तो बिन बुलाये आजाऊ मैं

तो रहना मुझसे सावधान

मैं तो आता रहूँगा

आग लगाना हॉबी मेरी

वो लगता रहूँगा .





अर्जुन देता चाय यहाँ....................


अर्जुन देता चाय यहाँ

प्रह्लाद पिलाता पानी

बर्तन ध्रुव है मांज रहा

ये है भारत की कहानी

चाय नही है शोषण का

ये खेल अजब चलता है

हर चौराहे चौक पे

ये दृश्य मुझे खलता है

अपराधी हम भी तो हैं

जो देख मूक रहते हैं

फिर भी देश को अपने तो

हम महान कहते हैं

नम है आँखे मेरी और मन में है आतंक

जो ललाट का तिलक था वो बन गया है अब कलंक.







जो रस्ते पे चलके कदम न थके थे .................


मुझे मेरी मंजिल नज़र आ रही है

जो रस्ते पे चलके कदम न थके थे

वो रस्ते ही मंजिल को बतला रही है

तू राही रहेगा जो चलते निरंतर

तो मंजिल तुम्हारी बदलती रहेगी

हर रस्ता जो तेरे सफर में है साथी

वो किसमत पे अपने तो इठला रही है



01 February, 2009

मैं मिला अंजानो से भी मुस्कुराकर ..............







मैं मिला अंजानो से भी मुस्कुराकर



खुश था मैं सभी का प्यार पाकर



अचानक युहीं मिल गया कोई अपना



जो था तो अलग पर लगा अच्छा मन को



फिर लगने लगा साथ मिल जाए गर वो



तो मंजिल की किसको ज़रा भी फिकर हो



पता था की दोनों सही जा रहें हैं



हिचक फिर भी मन में है घबरा रहे हैं



शमा कुछ ऐसा बदल सा गया है



प्यार दोनों के मन में यूँ ढल सा गया है



की बढ़ने लगे हैं कदम साथ अपने



हो गए साथ में, अलग थे जो सपने



चलो संग युहीं मेरे मुस्कुराकर



मैं हूँ खुश बहुत तेरा प्यार पाकर.












तुम्हारे सवालों का जवाब शायद नहीं मेरे पास ..................


तुम्हारे सवालों का जवाब शायद नहीं मेरे पास

कहती हो क्यूँ तुम मुझे हो पसंद

मेरे लिए वजह बताना कठिन है

मैं भी नहीं जानता

पूछती हो तुम क्यूँ और कोई क्यूँ नही

जिस तरह नफरत करने की कोई वजह नहीं

उसी तरह प्यार की भी

पर तुम्हे तो जवाब चाहिए

जो शायद दे नहीं पाउँगा में

फर्क क्या पड़ता है

प्यार तो तुमको भी है मुझसे

फिर ये सवाल जवाब बेकार है

जो सच है बस मेरा प्यार है......