22 March, 2015

आशीर्वाद

मुझे बस तुम्हारा आशीर्वाद चाहिए 
नचिकेता को यम से जो ज्ञान था मिला  
मुझे तुमसे वैसा ही संवाद चाहिए 
मैं न प्रह्लाद हूँ , न अर्जुन सा गुणी
न हूँ जैसे थे ज्ञानि ही नारद मुनि 
है विनती अनुभव हो वो सत्य शाश्वत 
स्वीकार करो मेरा तुम मौन दंडवत  

19 March, 2015

डार्विन

मैंने जो दुनिया देखि , अपने आँखों से 
उसमे तो डार्विन के विचार ही हावी हैं 
जो कहता है की अगर तुम्हे है जीना यहाँ 
तो विकल्प नहीं, संघर्ष अवस्यम्भावी है  

13 March, 2015

तथास्तु


















तथास्तु

सुना है मैंने असंख्य मुख से 
लेता है उपरवाला परीक्षा 
और सुना है ये भी , हमारा क्या है 
रखे वो जैसे ,उसकी हो इक्षा 
​परीक्षा नहीं अपितु स्वइक्षा है 
जो सोंचते हो, वही है मिलता 
विचारों के प्रबल नीव पर ही 
कोई कमल का है फूल खिलता
है उसकी ललक, या विषय वस्तु है 
वो कृपा जो करदे तो तथास्तु  है 

06 March, 2015

होली

श्याम स्वेत के अलावा रंग कौन सा लिखूं 
सोंचता हूँ होली पे प्रसंग कौन सा लिखूं 
यादें कई कैद है ह्रदय के किसी कोने में 
ख़ुशी अपार होती थी साथ सबके होने में 
माँ के हाँथ उठते थे चन्दन और आशीर्वाद को 
भुला नहीं सुंगंध और उन असंख्य स्वाद को 
अभी भी होती होली है, वही रंग है गुलाल है 
अपनों से दूर होने का मन में बड़ा मलाल है

03 March, 2015

इस मझधार में एक तेरा ही सहारा है










मैंने खुद ही किये थे बंद अपने दरवाजे
ये जानते हुए की मिलने को तैयार हो  तुम 
ये सच है, गया था भूल  दुनियादारी में 
की मैं तो कठपुतली, सूत्रधार हो तुम 
तुम तो हो विक्रम , विचारों से बैताल हूँ मैं 
मौन रहते हो तुम, आदत से वाचाल हूँ मैं 
समय नहीं है ,न मतभेद की गुंजाइश  है 
करोगे पूर्ण क्या आखरी ये मेरी ख्वाइश है 
अब तुम्हारे सिवा कुछ नहीं गंवारा है 
इस मझधार में एक तेरा ही सहारा है 

01 March, 2015

मुखौटा













अंदर के बगावत पर बुद्धि का लगा पहरा 
और खो गया फिर से , असली था जो चेहरा 
रावण के तो दस सिर थे, मेरे तो हज़ारों हैं
दीवारों के नहीं हैं कान,कानो में दीवारें हैं 
खुद को ही तो हमने, जंजीरों में जकड़ा है
जिसको देखो वो ही अहंकार में आंकड़ा है 
ये जो मुखौटे हैं इन्हे आज उतरने दो 
इस बार विधाता को वो चेहरा गढ़ने दो 
फिर पाओगे एक हैं सब ,नहीं कोई अलग है भाई 
कण कण उसकी ही छवि, उसकी ही है परछाईं .