28 January, 2014

मुखौटा















अब क्या कहूं
न शब्द हैं
न भाव है
चेहरे के पीछे
जो एक छीपा चेहरा है और
उसके ललाट पर तो बस तनाव है।

तुम्हारे मापदंड से
सफल हूँ मैं इस दौड़ में ,
था भूल गया खुद को मैं
प्रतियोगिता कि होड़ में

मैं कौन हूँ ,क्यूँ हूँ यहाँ
क्या योजना कोई लक्ष्य है ,
ग़र  दे सको तो दो मुझे
उत्तर यदि प्रत्यक्ष है।














 

Apna time aayega