27 December, 2014

नए बीज़ बो रहा हूँ ह्रदय के क्यारी में
















कुछ यादों को समेटे
कुछ सपनो को संजोये
मैंने असंख्य बीज़
अपने ह्रदय में बोये
हर शख़्स जो मिला  मुझे
जीवन के पगडण्डी पर
कुछ नया मुझको युहीं सीखा गया है
जब द्वार बंद होते रस्ते दिखा गया है
अब वक़्त फिर से आया नए वर्ष के बहाने
कुछ मित्र फिर बनेंगे आयेंगे कुछ सीखाने
मैं बाहें खोल उनके  स्वागत की तैयारी में
नए बीज़ बो रहा हूँ ह्रदय के क्यारी  में। 







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