08 November, 2010

बददिमाग कवि







आज फिर जीने की तमन्ना है
और मरने का इरादा भी
क्या विरोधाभास है
पर मेरे लिए एक सुखद एहसास
क्यूंकि मरने का इरादा रखना उतना ही
सच है जितना जीने की जिजीविषा
ये एक आध्यात्मिक तथ्य है
जन्म और मृत्यु के बीच का अंतराल
जीवन का गुढ़ सत्य है
मैं भी उसी अंतराल का अदना अनुभवी हूँ
लोग कहते हैं मैं एक बददिमाग कवि हूँ..........

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