Ranjeet K Mishra
Abhivyakti (Expressions)
10 January, 2015
अपने दीपक आप बनो
हाँथ तुम्हारे है सब कुछ
पूण्य बनो या पाप बनो
जीवन को दिशा देने वाले
या फिर तुम पश्चाताप बनो
है तेरे कंधो पर ही टिकी
उम्मीद की परिवर्तन होगा
बाहर कितना भी कोलाहल
पर अंदर चैन अमन होगा
घनघोर तिमीर छट जाएगा
सूरज फिर बाहर आएगा
हो सके तो वो प्रभात बनो
तुम अपने दीपक आप बनो
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Engineering enlightenment
सामूहिक निषेध
जब गिरती है कोई गगन चुम्बी इमारत तब साथ गिरते हैं आस पास के मकान भी और धुल चाटती है ऐसे में ईमानदारी की झोपड़ी इसे सामूहिक निषेध कहते हैं इसी...
संघर्ष नहीं जीवन संग हर्ष है
जीवन एक संघर्ष है मैंने सुना है अनेको के मुख से और इस दौड़ में इंसान दूर हो जाता है सुख से शेष रह जाता है तनाव और अस...
(no title)
No comments:
Post a Comment