अपने दीपक आप बनो
हाँथ तुम्हारे है सब कुछ
पूण्य बनो या पाप बनो
जीवन को दिशा देने वाले
या फिर तुम पश्चाताप बनो
है तेरे कंधो पर ही टिकी
उम्मीद की परिवर्तन होगा
बाहर कितना भी कोलाहल
पर अंदर चैन अमन होगा
घनघोर तिमीर छट जाएगा
सूरज फिर बाहर आएगा
हो सके तो वो प्रभात बनो
तुम अपने दीपक आप बनो
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