31 May, 2017

आना पड़ेगा माँ तुम्हे मेरा हाँथ थामने

सफलता जब मिली तो दर्पण दिखा गयी 
यौवन भी दिखाया और बचपन दिखा गयी 
जीवन का वृत्तचित्र था आँखों के सामने
आना पड़ेगा माँ तुम्हे मेरा हाँथ थामने 

पाने की चाह में खोते चले गए 
दूरी की बीज़  मन  में बोते चले गए 
दौड़ते रहे अंतहीन रेस है  
गांव क़स्बा शहर देश और प्रदेश है
मिटटी के  घर से संगेमरमर के मकान तक 
बस दौड़ते रहे अंतिम साँस  प्राण तक










Apna time aayega