तुम चुरा रहे नज़र मैं भी हूँ तुमसे अजनबी
की अंत तो होना ही है और सत्य तो यही राख है
मिट्टी में मिलने से बचने के बहाने लाख हैं
मुट्ठी में समेटना संसार मैं भी चाहता
सब कुछ समां जाए मुझी में आकर ऐसा चाहता
चाहता हूँ
जीत हो मेरी और जय जय कार हो
मौत के आगोश में भी जिन्दगी से प्यार हो
जो भी प्रश्न उठ रहे उत्तर उसके हज़ार हों ...........
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