जो अंतर्मन के ईश से परिचय कराती है ,
बस विद्या यही एक मात्र ,बाकी थोथी शिक्षा है
जो इंसान को सच्चा इंसान बनाती है।
उसी विद्या कि देवी को मेरा है दंडवत,
जो परिचय कराये उससे जो है सत्य शाश्वत।
आदर से जोड़े हाँथ तुम्हारे द्वार नतमस्तक
माँ शारदा ये भक्त , है दे रहा दस्तक
तुम्हारी कृपा जो हो , फिर जीवन में क्या कमी,
मेरे लिए हर दिन ही माँ है वसंत पंचमी।
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