10 February, 2014

हर इंसान कि 'महाभारत' निजी लड़ाई है















रणभूमि है योद्धा भी हैं और शंखनाद भी, 
कहीं हर्ष से भरा ह्रदय कहीं विषाद भी ,
विचारों के कौरव मन में उत्पात मचाते ,
कहाँ है वो पांडव  जो अंकुश लगा जाते। 

न कृष्ण कि लीला है, न गीता का ज्ञान है ,
अंतर्मन का कौतुहल युद्ध का प्रमाण है ,
न 'गूगल' के पास हल है ,न  'आरटीआई' है,
हर इंसान कि 'महाभारत' निजी लड़ाई है 






  













No comments:

Post a Comment

Apna time aayega