साथ चले थे , हम फिर भी रह गए अकेले
तुमने खूब मक्खन लगाया मैंने पापड़ बेले
हो तुम कहाँ आज और मैं वहीँ चौराहे पर
गाल हमारे जड़ा समय ने ऐसा थपड़
पढ़े साथ थे आये भी अव्वल थे हमेशा
नहीं ज्ञात था कठिन बहुत है नौकरी पेशा
ज्ञान तो है पर नहीं पैरवी ठोकर खाओ
काबिल हो तो कोई जुगाड़ तो ढूंढ के लाओ ...
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