दो कदम आगे बढ़ाया
तीन पीछे खींच ली
झूठ का चश्मा लगाए
आँखे सच से मीच ली
मन को भी समझा दिया
शामिल हूँ मैं भी रेस में
विश्व के बाज़ार में
अपने ही विनिवेश में
लगेंगी बोलियाँ मेरे
कागज़ी उपलब्धि पर
पोषित हो अहंकार
बैठेगा व्यास गद्दी पर
और फिर वही उपदेश
एवं योजना भविष्य की
और समझाना की ये
जरूरत है इस परिदृश्य की
इस तरह कहीं कोई
स्वर मौन फिर है हो गया
मुखोटों के
आडम्बर में
असली चेहरा खो गया।
शामिल हूँ मैं भी रेस में
विश्व के बाज़ार में
अपने ही विनिवेश में
लगेंगी बोलियाँ मेरे
कागज़ी उपलब्धि पर
पोषित हो अहंकार
बैठेगा व्यास गद्दी पर
और फिर वही उपदेश
एवं योजना भविष्य की
और समझाना की ये
जरूरत है इस परिदृश्य की
इस तरह कहीं कोई
स्वर मौन फिर है हो गया
मुखोटों के
आडम्बर में
असली चेहरा खो गया।
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