10 August, 2015

उसी ईश के अंश सभी

उसी ईश के अंश सभी ,कोई ज्यादा न कोई कम है 

जो प्रोत्साहित करे 
और जो पीड़ परायी जाने 
और जो तुममे निहित है ऊर्जा 
उसको भी पहचाने 
हमदर्दी  (sympathy ) जो दिखलाये 
उस पर बिस्वास न करिये 
समानुभूति (empathy)  आदर्श हो 
जिनका  उनके साथ विचरिये 


जीवन को विष कर देंगे
रहना तुम उनसे दूर 
जो करे तुम हतोत्साहित 
और बस संदेह  भरपूर 
जिनका काम महज इतना 
की खामियों को गिनवाएं 
धयान रहे उनकी परछाईं 
के भी निकट न जाएँ 

अब युग नहीं की निंदक को हम आस्तीन में पालें
और अपना बुद्धि विवेक करदें औरों के हवाले 
उसी ईश के अंश सभी ,कोई ज्यादा न कोई कम है 
दुर्बल नहीं कोई है यहाँ बस मन का मात्र भरम है  

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