02 August, 2015

प्रमाण








क्या क्या प्रमाण दूँ मैं दुनिया के मंच पर
अब उठ गया विश्वास है इस क्षल प्रपंच पर 
दर्पण को दूँ प्रमाण की दीखता  हूँ मैं सुन्दर 
लोगों को ये प्रमाण भरा ज्ञान है अंदर 
और प्रमाण ये की मैं कितना सच्चा हूँ 
माँ बाप को प्रमाण की मैं अच्छा बच्चा हूँ 
गुरु को भी तो प्रमाण की हूँ मैं आज्ञाकारी 
और साथियों को ये प्रमाण की मैं हूँ  क्रांतिकारी 
प्रमाण की निर्दोष हूँ मैं हर लड़ाई में 
और प्रमाण ये भी की अब्वल हौसलाअफजाई में 
क्या अस्तित्व महज मेरा है ढूंढना प्रमाण
या इसके  परे और भी कोई मेरी है पहचान 
संशय की इस घड़ी में दया का पात्र मैं  
या किसी बड़े उद्देश्य का हूँ निमित मात्र मैं 
है ज्ञात नहीं मुझको कृष्ण आप बताएं 
अर्जुन की तरह मुझको भी अब राह दिखाएँ ............

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