अब उठ गया विश्वास है इस क्षल प्रपंच पर
दर्पण को दूँ प्रमाण की दीखता हूँ मैं सुन्दर
लोगों को ये प्रमाण भरा ज्ञान है अंदर
और प्रमाण ये की मैं कितना सच्चा हूँ
माँ बाप को प्रमाण की मैं अच्छा बच्चा हूँ
गुरु को भी तो प्रमाण की हूँ मैं आज्ञाकारी
और साथियों को ये प्रमाण की मैं हूँ क्रांतिकारी
प्रमाण की निर्दोष हूँ मैं हर लड़ाई में
और प्रमाण ये भी की अब्वल हौसलाअफजाई में
क्या अस्तित्व महज मेरा है ढूंढना प्रमाण
या इसके परे और भी कोई मेरी है पहचान
संशय की इस घड़ी में दया का पात्र मैं
या किसी बड़े उद्देश्य का हूँ निमित मात्र मैं
है ज्ञात नहीं मुझको कृष्ण आप बताएं
अर्जुन की तरह मुझको भी अब राह दिखाएँ ............
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