काश कोई होता जो तिनके का सहारा देता 
मेरी मजधार में नैया को किनारा देता 
रचयिता तुम तो जानते हो मैं बताऊँ क्या 
सूरज की रौशनी दिया दिखाऊँ क्या 
बनादो वज्र मुझे रणभूमि हुंकार मेरी 
सुने जो सुन सकी नही है, विचार मेरी 
मैं योद्धा हूँ रणभूमि में आया हूँ 
नाम रणजीत है विजय मेरे स्वाभाव में है 
जीत का जश्न मेरे ह्रदय के हर घाव में है ................
No comments:
Post a Comment