कोई आक्रोश है जो मेरे जेहन में जिन्दा है
ऐसा लगता है पिंजडे में ज्यूँ परिंदा है
ख्वाब उड़ने के गगन में संजोये थे मैंने
हकीकत मेरे वजूद पर शर्मिंदा है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
जब गिरती है कोई गगन चुम्बी इमारत तब साथ गिरते हैं आस पास के मकान भी और धुल चाटती है ऐसे में ईमानदारी की झोपड़ी इसे सामूहिक निषेध कहते हैं इसी...
-
जीवन एक संघर्ष है मैंने सुना है अनेको के मुख से और इस दौड़ में इंसान दूर हो जाता है सुख से शेष रह जाता है तनाव और अस...
-
जब भी अकेलापन आपको सताएगा परिवार ही उस समय पे काम आएगा रह जायेंगी उपलब्धियाँ दीवार पर टंगी जब मायाजाल आपको ठेंगा दिखायेगा...
No comments:
Post a Comment