04 November, 2009

कोई आक्रोश है जो मेरे जेहन में जिन्दा है

कोई आक्रोश है जो मेरे जेहन में जिन्दा है
ऐसा लगता है पिंजडे में ज्यूँ परिंदा है
ख्वाब उड़ने के गगन में संजोये थे मैंने
हकीकत मेरे वजूद पर शर्मिंदा है

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