13 December, 2009

हर काव्य जैसे मेरी हो मलयागिरि चंदन........................


कभी क्रोध का परिचय है

कभी प्रेम की कहानी

कभी दिल की दास्ताँ है

कभी मन की आनाकानी

कभी फूल की खुशबू है

कभी दर्द की चुभन भी

कभी छोटी दुनिया है

कभी विस्तार है गगन की

कविता मेरी ह्रदय की

धड़कन है, है स्पंदन

हर काव्य जैसे मेरी

हो मलयागिरि चंदन........................



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