मैं हमेशा ढूंढ़ता सुकून दिल के कोने में
कुछ तो महत्वपूर्ण होता अकेले होने में
साँसों की गति पे अनायास ध्यान जाता है
होता प्रतीत ऐसे जैसे साथ में विधाता है
बाहर की कोलाहल नहीं फिर भेदती अंदर का मौन
इस अवस्था में जैसे ये प्रश्न न हो मैं हूँ कौन
शेष जो रहता है बस साँसों का आवागमन है
ह्रदय के भाव कुण्ड में विचारों का ये हवन है
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