श्याम स्वेत के अलावा रंग कौन सा लिखूं
सोंचता हूँ होली पे प्रसंग कौन सा लिखूं
यादें कई कैद है ह्रदय के किसी कोने में
ख़ुशी अपार होती थी साथ सबके होने में
माँ के हाँथ उठते थे चन्दन और आशीर्वाद को
भुला नहीं सुंगंध और उन असंख्य स्वाद को
अभी भी होती होली है, वही रंग है गुलाल है
अपनों से दूर होने का मन में बड़ा मलाल है
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