तथास्तु
सुना है मैंने असंख्य मुख से 
लेता है उपरवाला परीक्षा 
और सुना है ये भी , हमारा क्या है 
रखे वो जैसे ,उसकी हो इक्षा 
परीक्षा नहीं अपितु स्वइक्षा है 
जो सोंचते हो, वही है मिलता 
विचारों के प्रबल नीव पर ही 
कोई कमल का है फूल खिलता
है उसकी ललक, या विषय वस्तु है 
वो कृपा जो करदे तो तथास्तु  है 
 
 
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