दुनिया की हर बाधा और कठनाई को
जो चश्मा है आँखों पर संदेह भरा
कैसे समझोगे दिल के गहराई को
कलयुग का ये फेर नहीं तो और क्या है
सब अपनों को हमने किया पराया है
अपने धुन में इतने घाव किये हमने
वक्त का मरहम भी न उसे भर पाया है
कोई दुश्मन नहीं ईश के अंश सभी
समझ समझ का फेर आँखों का धोखा है
ये तो अपनी ही बनायी दीवारें हैं
जिसने हमको अनायास ही रोका है