16 May, 2010

पहचान कौन ?


पहचान कौन ?
एक मात्र सवाल और फिर मैं मौन
पहचान कौन?
क्या नहीं पहचाना मैं तो हमेशा तुम्हारे साथ
तुम्हारे ही अंदर रहता हूँ
और कहता हूँ की कभी तो अंतर्मुखी हो
मुझसे भी करो मुलाकात
न सही लंबी चर्चा कुछ तो करो बात
कभी तो हो रूबरू अपने यथार्थ से
अंतर्मन का कृष्ण निवेदन ज्यूँ करता पार्थ से
उठाओ मनोबल करदो शंखनाद
और अन्तर्निहित भय का पूर्णतः करो विध्वंश
स्मरण रहे हो तुम ईश के अंश...............

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