29 June, 2018

तुलसी


















तुलसी के पास बैठ जाना
जब भी हो उलझन
माँ की तरह हो आपको रस्ता दिखाएगी
थक कर कभी जो चूर हों
सानिध्य तुलसी का
माँ की तरह थप थपा लोरी सुनाएगी
कितने भी कलुषित विचार चलते हो मन में
संपर्क तुलसी का तो वृन्दावन बनाएगी

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