11 July, 2018

बात का बतंगड़


















विकल्प जो होता  मन के चुनाव में 
नमक न देता छींटने अपने घावों में 
जो घाव हरे थे वो बन गए नासूर 
लगाते रहे आरोप, मढ़ते रहे कसूर 
लेना जहाँ संकल्प विकल्प तलाशा 
हर  बात का बतंगड़ और मिथ्या तमाशा 

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