Ranjeet K Mishra
Abhivyakti (Expressions)
11 July, 2018
बात का बतंगड़
विकल्प जो होता मन के चुनाव में
नमक न देता छींटने अपने घावों में
जो घाव हरे थे वो बन गए नासूर
लगाते रहे आरोप, मढ़ते रहे कसूर
लेना जहाँ संकल्प विकल्प तलाशा
हर बात का बतंगड़ और मिथ्या तमाशा
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