15 July, 2018

हे जगन्नाथ आपही कोई रस्ता दिखाइए
































मेरे जीवन की यात्रा के तुम हो सारथी 
अर्जुन के भाँती मैं भी तुम्हारा ही विद्यार्थी 
जो युद्ध है जीवन के दैनिक काम काज में 
चारो तरफ दुर्योधन खड़े इस समाज में 
अब और नहीं युद्ध , मन की शान्ति चाहिए 
हे जगन्नाथ  आपही कोई रस्ता  दिखाइए 
 


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