ज़ंजीर लोहे की हो या सोने की
जरूरत है क्या बेवजह उसे ढोने की
विचारों को अगर बंधक युहीं बनाओगे
मुझे ये खेद है फिर कैसे तुम उड़ पाओगे
पंख हो ज्ञान न हो, तो हनुमान भी उड़ पाते नहीं
जबतक आके कोई जामवंत ,स्मरण कराते नहीं
कृपा बरसती जहाँ क्या करोगे छाता का
बस एक संकेत चाहिए उस विधाता का
खुल के भीगना जरूरी होता है
जब हनुमान के अंदर पवनपुत्र सोता है
No comments:
Post a Comment