प्यार जब दिखावे में
हो जाता है प्रविर्तित
मेरा अनुभव ये कहता है
की रिश्ते टूट सकते हैं
जब होने लगे बौछार
तोहफे का अचानक तो
मन के किसी कोने में
जानो पल रहा संदेह
की क्यूँ न कुछ करे ऐसा
की आकर्षण दिखायी दे
बिना कारण ही आए
लोग और मुझको बधाई दें
मुझको ये अनुभव हो
की महत्व पूर्ण मैं भी हूँ
पर ये सब क्यूँ , मुझको
समझ आता नहीं इश्वर
जब प्यार पावन है
तो फिर क्यूँ छल का ये चादर
अचानक बदलना क्यूँ
सहजता को तिलांजलि
मेरे अंदर सवाल अनेक
मची है खलबली
शब्द को बदलते देखा
और हाव भाव भी बदला
सब कुछ बदल गया
प्यार हो गया छु मंतर
उसी प्यार को ढूंढे है
ये पागल ह्रदय अंदर ........................
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