मुझे नहीं गम है की मैं क्यूँ ऐसा हूँ
खोटा सिक्का हूँ या चिल्लर पैसा हूँ
लोग कहे मैं हूँ अनाथ अभागा भी
चरखे पे का सूत और कच्चा
धागा भी
दलित हूँ या फिर गली का कोई
दबंग हूँ
शव यात्रा का मौन या फिर
कोई हुड़दंग हूँ
जो भी हूँ पर एक बात तो
पक्की है
हूँ वही इश का अंश जो सब
में विधमान है
साँसों का स्पंदन इसका
शाश्वत प्रमाण है
भारत के भूमि पर जन्मा उसका
ही बेटा मैं
विष्णु के भांति सर्प सैया पर
लेटा मैं
No comments:
Post a Comment