12 May, 2018

हार नहीं मैंने माना है , जग का जितना शेष है
















महसूस करो तो सब संभव है
दूरी मात्र बहाना है
कठिन यात्रा सबसे वो
जब बुद्धि से भाव तक जाना है
राह मेरी अब उसी दिशा में
मंज़िल ह्रदय विशेष है
हार नहीं मैंने माना है
जग का जितना शेष है




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