21 May, 2018

साँसों की बेचैनी भी आँखें खोल देती हैं















कभी खामोशी भी कोई कहानी बोल देती है
कभी मन पीटने को ,कोई ढिंढोरा ढोल देती है
कभी तो मौन की भी गूँज ,कानो तक पहुंचती है
कभी साँसों की बेचैनी  भी आँखें खोल देती हैं





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