जरूरी तो नहीं हर रस्ता मंज़िल की दुहाई दे
हर ख़ुशी के मौके पे ,याद कोई मिठाई दे
कभी नम आखें बयां करती है इज़हारे ख़ुशी को
कोई बेटा जब अपनी माँ को गाढ़ी कमाई दे
हर ख़ुशी के मौके पे ,याद कोई मिठाई दे
कभी नम आखें बयां करती है इज़हारे ख़ुशी को
कोई बेटा जब अपनी माँ को गाढ़ी कमाई दे
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