गुरु पूर्णिमा पर अन्धकार का दमन
गुरु के चरणों में मेरा नमन
तुम ब्रह्म हो और विष्णु भी
तुम ही महेष हो
मेरे चैतन्य के केन्द्र में
तुम विशेष हो
तुम्हारे सान्धिय में मेरा विकास है
होना तुम्हारा जैसे एक खुला आकाश है
गुरु तुम पूर्ण माँ हो
गुरु पूर्णिमा पर मेरा स्वीकार करो दंडवत प्रणाम
तुमने ही दिया मेरे जीवन को नई परिभाषा नया आयाम ...........
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