20 June, 2009

मुझे बतखों के स्कूल में नही जाना है



आकाश के विस्तार को पाना है


मुझे बतखों के स्कूल में नही जाना है


मुझे संग चाहिए उड़ने वाले पंछी का


जो उड़ना सिखादे


मेरे अंदर का आन्जनेय जगादे


मुझे जामवंत जैसे गुरु की तलाश है


जो बस मेरे संभावनाओं पर सोंचने पर करे मजबूर


देदे वो विश्वास की उड़ सकूँ पंख पसार सुदूर


और भर लूँ आसमान को अपने बाँहों में


मुझे विचरण करना है आकाश के अनजान राहों में .......................

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