आकाश के विस्तार को पाना है
मुझे बतखों के स्कूल में नही जाना है
मुझे संग चाहिए उड़ने वाले पंछी का
जो उड़ना सिखादे
मेरे अंदर का आन्जनेय जगादे
मुझे जामवंत जैसे गुरु की तलाश है
जो बस मेरे संभावनाओं पर सोंचने पर करे मजबूर
देदे वो विश्वास की उड़ सकूँ पंख पसार सुदूर
और भर लूँ आसमान को अपने बाँहों में
मुझे विचरण करना है आकाश के अनजान राहों में .......................
No comments:
Post a Comment