गाँधी जी
आपके आदर्श अब किताबों में हैं
कुछ सवालों में हैं कुछ जवाबों में हैं
हर एक दिल में आप हो या न हो
हर शहर में तो एक रोड है आपका
लगता फिर क्यूँ है बापू अनाथों का देश
मन में कुंठा भरा है क्यूँ पश्चाताप का.......................
30 January, 2010
11 January, 2010
मैंने हकीकत में ख्वाब देखा है
मैंने हकीकत में ख्वाब देखा है
कुछ सवालों का जवाब देखा है
यूँ अचानक ही कुछ हुआ जैसे
तपती रेत पे एक तालाब देखा है
प्यास मेरी मुझे चलाती है
तालाब कहीं रेत में खो जाती है
फिर भी मैं हारता नहीं , चलता
प्यास अब त्रास बन के था क्षलता
मृगतृष्णा थी मैं अचेतन था
घबराया हुआ मेरा मन था
ऐसा लगता था मैं मर जाऊँगा
उसी समय खुली आँखें मैं जागा
लगा मन को की मैं तो जिन्दा हूँ
प्यास गर हलक तक आजाये तो
बस एक तड़पता हुआ परिंदा हूँ
मौत के शहर के बीचोबीच
मैं एक मात्र जीवित वाशिंदा हूँ
10 January, 2010
laundiatic syndrome ...............
मेरे एक दोस्त को प्यार हो गया
वो भी laundiatic syndrome का शिकार हो गया
ये बीमारी अजीब होती है
लोग दोस्तों को भूल जाते हैं
झूठ नियति बन जाती है
लोग अपनों से जी चुरातें हैं
ये जीन सबके पास होता है
पर किसी में ही ख़ास होता है
जो समझता है दुनिया पागल है
और वो सबसे सयाना है
प्यार के नाम जो नौटंकी है
उसका किरदार बस निभाना है
सच अगर प्यार येही है तो
मुझे माफ़ करो
मेरे इश्वर अब तुम ही ये इन्साफ करो..............
प्रतिसाद (response) या प्रतिकर्म ( reaction )
प्रतिसाद (response) या प्रतिकर्म ( reaction )
हर मोड़ पर ये सवाल आता है
पर मन प्रतिकर्म ही करवाता है
प्रतिसाद हमेशा मन की उदंडता से कुचला जाता है
पर जब भी आजादी मिले तो उस अंतराल का अनुभव जरूरी है
जो भाव और विचार के बीच आता है
और अंततः कर्म में आकार पाता है
ये अंतराल का अनुभव वस्तुतः
मौन में डुबकी लगाने जैसा है
और अनंत के गहराई
से प्रतिसाद का मोती पाने जैसा है ...................
अमृत है विष भी है प्रारब्ध में मेरे ...........
mera होश काव्य है , आक्रोश काव्य है
और काव्य है मेरे मन के भाव आवेष
मेरे विचारों की कड़ी भी एक काव्य है
अंतर्नाद ह्रदय की भी काव्य का है रूप
मौन काव्य है और वही गूँज भी
अन्धकार भी कविता ,प्रकाश पुंज भी
अस्तित्व मेरी भी तो काव्य मात्र है
सृजन विनाश की एक अक्षय पात्र है
अमृत है विष भी है प्रारब्ध में मेरे
वही झलकता है हर शब्द में मेरे
मेरी हर एक कृति अभिव्यक्त भाव हैं
इश्वर के शब्दकोष का ही ये प्रभाव है
की भाव शब्द के परे सागर विशाल है
दुनिया तो बस फैली हुई एक मायाजाल है .................
और काव्य है मेरे मन के भाव आवेष
मेरे विचारों की कड़ी भी एक काव्य है
अंतर्नाद ह्रदय की भी काव्य का है रूप
मौन काव्य है और वही गूँज भी
अन्धकार भी कविता ,प्रकाश पुंज भी
अस्तित्व मेरी भी तो काव्य मात्र है
सृजन विनाश की एक अक्षय पात्र है
अमृत है विष भी है प्रारब्ध में मेरे
वही झलकता है हर शब्द में मेरे
मेरी हर एक कृति अभिव्यक्त भाव हैं
इश्वर के शब्दकोष का ही ये प्रभाव है
की भाव शब्द के परे सागर विशाल है
दुनिया तो बस फैली हुई एक मायाजाल है .................
09 January, 2010
07 January, 2010
पप्पू भैया प्यार में बन गए कोल्हू बैल ...................
ये प्यार नहीं बंधू
संक्रामक बीमारी है
और प्यार के नाम पर
इमोशनल अत्याचार जारी है
रोज नयी नौटंकी रोज नया खेल
पप्पू भैया प्यार में बन गए कोल्हू बैल
कोल्हू बैल की तरह
लगा रहे हैं चक्कर
मैं मूढ़ इंतज़ार कर रहा कब
आयेंगे वो थककर
पेड़ के छाओं में सांस जब लेंगे पप्पू भैया
कब समझेंगे बाबू साहेब प्यार की भूल भूलैया ..............
हर खेल उसी का रचा हुआ उसकी ही है करतूत .............
बीज के अस्तित्व के विलीन
होने से ही अंकुर आता है
पर क्या यह बात सोंच
बीज पछताता है
नहीं
पर हम घबराते हैं
और बेचैन हो जाते हैं
विनाश में सृजन के
छुपे सत्य की प्रसव वेदना
कहाँ समझ पाते हैं
और गर्भपात हो जाता है
जन्म से पहले ही
सुनहरा पल खो जाता है
आहट उस वर्तमान की
को कुचलो मत होने दो प्रस्तुत
हर खेल उसी का रचा हुआ उसकी ही है करतूत .............
06 January, 2010
एक रास्ता हमेशा दिल के लिए होता है
एक रास्ता हमेशा
दिल के लिए होता है
मन की उदंडता पर
अस्तित्व वो खोता है
जीवन के दौड़ में बस
मन की है मनमानी
दिल के लिए रस्ता जो
लगे है कालापानी
कारण जो है वो मन है
उसकी है चौकीदारी
मन खुद बीमार भी है
और स्वयं वो है बिमारी
आजाद दिल कहाँ अब
माने है मन का कहना
जो रास्ता अलग है
उस पे है चलते रहना
इरादे बुलंद हो तो
रस्ते कठिन नहीं हैं
मंजिल हो जब ये रस्ते
हर कदम तब सही हैं
हर एक कदम मेरी अब
उसकी तलाश में है
कहीं दूर नहीं है वो
मेरे ही पास में है .....................
05 January, 2010
मौन के उस गूँज का खोजी क्रन्तिकारी हूँ
मन के किसी कोने में
एहसास अनोखा है
दुनिया में जो दिखता है
भ्रम है वो धोखा है
सच्चाई कहाँ दिखती
और होती कहाँ आज़ादी
आवाज़ जो मतलब की
उसको कहाँ हवा दी
मन के किसी कोने में
दफ़न वजूद मेरा
एक रौशनी जो आए
मिट जाए ये अँधेरा
उस रौशनी का मैं
अकिंचन पुजारी हूँ
मौन के उस गूँज का
खोजी क्रन्तिकारी हूँ ..............................
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जीवन एक संघर्ष है मैंने सुना है अनेको के मुख से और इस दौड़ में इंसान दूर हो जाता है सुख से शेष रह जाता है तनाव और अस...
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जब भी अकेलापन आपको सताएगा परिवार ही उस समय पे काम आएगा रह जायेंगी उपलब्धियाँ दीवार पर टंगी जब मायाजाल आपको ठेंगा दिखायेगा...