मैंने हकीकत में ख्वाब देखा है
कुछ सवालों का जवाब देखा है
यूँ अचानक ही कुछ हुआ जैसे
तपती रेत पे एक तालाब देखा है
प्यास मेरी मुझे चलाती है
तालाब कहीं रेत में खो जाती है
फिर भी मैं हारता नहीं , चलता
प्यास अब त्रास बन के था क्षलता
मृगतृष्णा थी मैं अचेतन था
घबराया हुआ मेरा मन था
ऐसा लगता था मैं मर जाऊँगा
उसी समय खुली आँखें मैं जागा
लगा मन को की मैं तो जिन्दा हूँ
प्यास गर हलक तक आजाये तो
बस एक तड़पता हुआ परिंदा हूँ
मौत के शहर के बीचोबीच
मैं एक मात्र जीवित वाशिंदा हूँ
Nice creation.
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