05 January, 2010

तुमको क्या मिल गया की तुम बुद्ध हो गए


तुमको क्या मिल गया की तुम बुद्ध हो गए


क्या पा लिया था तुमने जो तुम शुद्ध हो गए


मुझको तलाश है उसी कल्पवृक्ष का


जिसकी छत्र छाया में तुम प्रबुद्ध हो गए


मैं ढूँढ रहा था उसी तरंग को


अनंत विधमान जो उसी आनंद को


चरणों का समर्पित अहंकार मेरा है


मेरे मलिन ह्रदय का तूं सवेरा है .................



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