ये प्यार नहीं बंधू
संक्रामक बीमारी है
और प्यार के नाम पर
इमोशनल अत्याचार जारी है
रोज नयी नौटंकी रोज नया खेल
पप्पू भैया प्यार में बन गए कोल्हू बैल
कोल्हू बैल की तरह
लगा रहे हैं चक्कर
मैं मूढ़ इंतज़ार कर रहा कब
आयेंगे वो थककर
पेड़ के छाओं में सांस जब लेंगे पप्पू भैया
कब समझेंगे बाबू साहेब प्यार की भूल भूलैया ..............
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