मन के किसी कोने में
एहसास अनोखा है
दुनिया में जो दिखता है
भ्रम है वो धोखा है
सच्चाई कहाँ दिखती
और होती कहाँ आज़ादी
आवाज़ जो मतलब की
उसको कहाँ हवा दी
मन के किसी कोने में
दफ़न वजूद मेरा
एक रौशनी जो आए
मिट जाए ये अँधेरा
उस रौशनी का मैं
अकिंचन पुजारी हूँ
मौन के उस गूँज का
खोजी क्रन्तिकारी हूँ ..............................
जो हमेशा है वह दिखता नही
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जो है आता जाता वह केवल हमारे दृष्टिपटल पर आता।
मिल जाए उपाय कोई उस शास्वत को देखने का ,
तो मुझे भी साथ ले लेना रे मेरे भाई ।