08 February, 2009

माँ एक saathi ऐसा दे देना जिसे भी सत्य की तलाश हो...............


दोस्ती के आयाम को समझने

के असहाय प्रयास में लगा में

जिसे दोस्त की तलाश है

माँ कहती थी बेटा दोस्त वो होता है

जब दो लोग सत्य की राह पर साथ चलते हैं

पर माँ दुःख है की अब ऐसे दोस्त कहा मिलते हैं

आज पाखंड ही दोस्ती की बुनियाद है

जो सहारा झूठ का ले वोही आबाद है

ऐसे हिपोक्रेसी से मुझे घृणा है

अब बिना दोस्तों के ही जीना है

क्यूंकि ये वो दोस्त है जिनके लिए

सच और इमानदारी दो कौडी की चीज है

जो कभी न अंकुरित हो ये वही बिज हैं

maa इनका नस्ल ही अनोखा है

क्यूंकि इनकी सच्चाई में भी धोखा है

maa मुझे ऐसे दोस्त मत देना

जिनकी सफलता मेरी लाश हो

माँ एक saathi ऐसा दे देना जिसे भी सत्य की तलाश हो...............

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