05 February, 2009

आग लगना हॉबी मेरी वो तो लगता रहूँगा ......................


चाय तो एक बहाना है

आदर्श बेचने जाना है

झूठा ही सही ये दंभ मेरा

की दुनिया मुर्ख सयाना मैं

क्या जानू सागर का विस्तार

मेढक कुएं का अनजाना मैं

गलती क्या मेरी जो मैंने

देखि दुनिया है नही कभी

कुएं में राजनीती मेरी

रिश्तों से हूँ बेगाना मैं

बस चले मेरा तो रोज करूँ

हरकत कुछ आग लगाऊं मैं

बर्बाद गुलिस्ता करने को

तो बिन बुलाये आजाऊ मैं

तो रहना मुझसे सावधान

मैं तो आता रहूँगा

आग लगाना हॉबी मेरी

वो लगता रहूँगा .





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